छत्तीसगढ़ के आदिवासी 32% आरक्षण विवाद एसएलपी को गंभीर मामला बताते हुए सोमवार तक के लिए स्थगित
नई दिल्ली - शुक्रवार 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्तियों बी. आर. गवई और बी. वी. नागरत्ना की खंडपीठ ने छत्तीसगढ के जनजाति 32% आरक्षण विवाद की एसएलपी को गंभीर मामला बताते हुए सुनवाई सोमवार तक टाल दी। आज ही सुबह चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने प्रकाश ठाकुर- सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग की एसएलपी को भी सुनवाई के लिए लिस्ट करने का आंतरिक निर्देश जारी किया| इसलिए अब 17 अक्टूबर को योगेश कुमार ठाकुर और प्रकाश ठाकुर की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी। विद्या सिदार की एसएलपी कुछ कारणों से अटकी हुई है। अ.ज.जा. शा. सेवक विकास संघ की एसएलपी में शुक्रवार को ही डिफ़ेक्ट लिस्ट आ पाई है इसलिए इन दोनों याचिकाओं पर अब नवंबर माह में सुनवाई हो पाने की संभावना बहु कम है।
इसी तारतम्य में अनुसूचित क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण संबंधी 12 मई के हाइ कोर्ट फ़ैसले नंदकुमार गुप्ता प्रकरण को भी एसएलपी के माध्यम से कांस्टीट्यूशन बेंच तक ले जाने पर काम चल रहा है| बस्तर और सरगुजा संभाग के जिला स्तरीय साथियों के नाम से एकत्र हस्तक्षेप आवेदन भी अगले कुछ दिनों में फ़ाईल कर दिया जाएगा। हाई कोर्ट बिलासपुर में गुरु घासीदास अकादमी फ़ैसले के खिलाफ़ रिव्यू याचिका भी शनिवार को ही फ़ाईल करने की तैयारी है। प्रकाश ठाकुर और धीरज राणा ने आज सुप्रीम कोर्ट में कानूनी सलाहकार बी. के. मनीष से मुलाकात की और पूरे छत्तीसगढ के आदिवासी समाज में इस मुद्दे पर प्रभावी कानूनी और प्रशासनिक उपाय करने के लिए एकता और आर्थिक भागीदारी के प्रयासों का भरोसा दिलाया।
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